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डायबिटिक रेटिनोपैथी : लापरवाही न करें, जा सकती है आंखों की रोशनी

हेल्थ डेस्क. डायबिटीज कोई जानलेवा रोग नहीं है, लेकिन इसके बावजूद इसका काफी डर रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही डायबिटीज अपने आप में खतरनाक न हो, लेकिन इसके साथ जुड़े कई रोग इसके मरीजों की जिंदगी के लिए घातक हो सकते हैं। डायबिटीज का सबसे ज्यादा असर किडनी और आंखों पर पड़ता है। खासकर अगर आप डायबिटीज के पुराने मरीज हैं तो सबसे अधिक खतरे में आपकी आंखें ही रहती हैं। डायबिटीज के मरीजों को डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकती है। विश्व डायबिटीज दिवस के मौके पर डायबिटिक रेटिनोपैथी के खतरे और इसके इलाज के बारे में जानते हैं।

  1. डायबिटिक रेटिनोपैथी की स्थिति तब आती है, जब आंखों के पिछले हिस्से यानी रेटिना में रक्त वाहिनियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यह खतरनाक इसलिए है क्योंकि शुरुआत में इसके बहुत स्पष्ट संकेत नहीं मिलते हैं या दृष्टि में बहुत मामूली अंतर ही पता चलता है। यह टाइप 1 या टाइप 2 किसी भी डायबिटिक रोगी को हो सकती है। जिन मरीजों में शुगर का स्तर नियंत्रण में नहीं रहता है, उनमें डायबिटिक रेटिनोपैथी होने की आशंका उतनी ही ज्यादा होती है।

  2. जिस मरीज की शुगर नियंत्रण में नहीं रहती, उसमें समय के साथ आंखों के रेटिना की रक्त वाहिनियों में अवरोध पैदा हो जाता है। इससे इन रक्त वाहिनियों में रक्त की आपूर्ति रुक जाती है। नतीजतन आंखें खुद ही नई रक्त वाहिनियां बनाने का प्रयास करती हैं। लेकिन ये रक्त वाहिनियां सही ढंग से विकसित नहीं हो पातीं और उसमें रिसाव शुरू हो जाता है। इससे रेटिना को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। परिणाम यह होता है कि पहले दृष्टि धुंधलाने लगती है और उसके बाद समय बीतने के साथ ही आंखों से संबंधित कई तरह की समस्याएं सामने आने लगती हैं। ब्लाइंड स्पॉट भी नजर आने लगते हैं। और अधिक रक्त का रिसाव होने पर दृष्टि में धुंधलापन बढ़ता चला जाता है और आगे चलकर दिखाई देना भी बंद हो सकता है।

  3. डायबिटिक रेटिनोपैथी का सबसे सामान्य उपचार है लेजर या लेजर फोटोकोगुलेशन। लेकिन यहां यह बात ध्यान रखिए कि लेजर इलाज सिर्फ दृष्टि के तात्कालिक स्तर को बनाए रख सकता है। आंखों को जो नुकसान पहले ही हो चुका है, उसकी रिकवरी नहीं की जा सकती। आंखों को कितना नुकसान हुआ है या नुकसान होने की आशंका है, इसके मद्देनजर ही आपका नेत्र विशेषज्ञ आपको सर्जरी विशेष की सलाह देता है।

  4. समय-समय पर अपनी आंखों की संपूर्ण जांच करवाते रहें। जांच करवाने वाले डायबिटीज के करीब 20 फीसदी नए मरीजों में शुरुआती रेटिनल क्षति देखी गई है। अगर आपमें शुगर का स्तर हमेशा काफी ज्यादा बना रहता है तो आपको तीन से छह महीने के अंतराल में आंखों की जांच जरूर करवानी चाहिए। अगर शुरुआत में ही रेटिनोपैथी के बारे में पता चल जाए तो फिर इसकी वजह से आंखों को होने वाले गंभीर नुकसान और दृष्टिहीन होने की आशंका को रोका जा सकता है। अपनी आंखों की नियमित जांच करवाने के साथ-साथ डायबिटीज के मरीज के लिए अपनी शुगर को नियंत्रित करना भी बेहद जरूरी है। इसके लिए सप्ताह में कम से कम पांच दिन 30-30 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। दिन में तीन बार मेगा मील खाने के बजाय छह बार मिनी मील खाना चाहिए। भोजन में शक्कर बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। फैट, कार्बोहाइड्रेट्स और डेयरी उत्पाद भी कम से कम होनी चाहिए।



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      Diabetic retinopathy: Do not be careless, can cause eye light

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