हेल्थ डेस्क. ज्यादातर लोग जोड़ोंं के दर्द को शुरुआती दौर में नजरअंदाज करते हैं। बिना डॉक्टरी सलाह के पेनकिलर और मालिश से इसके इलाज की कोशिश करते हैं। नतीजा, हड्डियों की रगड़ से कार्टिलेज डैमेज होता है और दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाता है। जोड़ों का दर्द यूं तो बढ़ती उम्र की समस्या है लेकिन इसके मामले अब 40-45 साल की उम्र में भी सामने आने लगे हैं। आर्थराइटिस के कई प्रकार हैं लेकिन सबसे कॉमन है ऑस्टियो आर्थराइटिस है। इसके मामले में घुटनों में दर्द, चलने-फिरने या उठने-बैठने में परेशानी होती है। इलाज न कराने पर यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। इसे गठिया भी कहते हैं। देश की जनसंख्या का 15 फीसदी हिस्सा इससे जूझ रहा है। सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर के सीनियर आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अखिलेश यादव से जानिए आर्थराइटिस के दर्द से कैसे निपटें..
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देश में करीब 18 करोड़ लोग गठिया से पीड़ित हैं। इसके मामलें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखे जाते हैं। यूं तो इसके 100 से अधिक प्रकार हैं लेकिन 3 बेहद आम है जिनसे लोग जूझ रहे हैं।
- ऑस्टियो आर्थराइटिस : सबसे ज्यादा मामले इसके देखे जाते हैं जो बढ़ती उम्र के लोगों को होता है। उंगलियां, कूल्हे और घुटने सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। जोड़ों में चोट लगने पर भी ऑस्टियो आर्थराइटिस हो सकता है। जैसे खेलते वक्त खिलाड़ी के घुटने में चोट आना।
- रुमेटाइड आर्थराइटिस : यह एक तरह एंटी इम्यून डिसीज है यानी बीमारियों से बचाने वाला रोग प्रतिरोधी तंत्र ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। इसकी शुरुआत थकान, बुखार से हो सकती है।
- गाउट - यह आमतौर पर जोड़ों में चर्बी जमने के कारण होता है। यह खासतौर पर पैरों की उंगलियों को प्रभावित करता है।
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अगर जोड़ों के आस-पास सूजन और लगातार दर्द रहता है, चलने-फिरने या सीढ़ियां चढ़ना-उतरना मुश्किल हो रहा है तो अलर्ट होने की जरूरत है। जमीन पर बैठने के बाद उठने में परेशानी हो रही है या पालथी मारकर बैठना मुमकिन नहीं है तो हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने की जरूरत है। कई बार जोड़ों में परेशानी के कारण पैरों का आकार और चाल भी बदल जाती है। ऐसे कोई भी लक्षण दिखें तो एक्सपर्ट से सम्पर्क करें।
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